मेरे जूते। कभी पथरीली राहों की चादर मैले पानी का स्पर्श कभी कभी घंरौंदे की गर्माहट सरद ऋतू की ठण्ड कभी साथ ये मेरे चलते हैं, कदम से कदम मिलाकर इनको गम है मेरे गम में संग नाचे भी मौज में आकर कभी अकेले मनचलेे ये कभी किसी के संग मतवाले कहीं मेरे संग राह…