तुम्हें याद करना ऐसा है

तुम्हें याद करना कैसा है?पंखुड़ियों की छुअन के जैसा है मेरे कानों में कुछ गुफ्तगू कर रहे हों कुछ ऐसे गुलाबों के जैसा है तुम्हें याद करना ऐसा है… हलकी रिमझिम बरसातों में मिट्टी की भीनी सी सुगंध मेरा मन मलंग कर जाती है तुम्हें याद करना ऐसा है… कितने ही बरस और रैन-दिन बस…