ख़ुदा और फ़रिश्ते

“इसने सपने देखे जो, सब तोड दिये जायें!और इनकी आवाज़ इसके कान चीर जाए,न अगली दफ़ा ऐसी कोई ग़ुस्ताखी होगी,अरे इश्क- मोहब्बत जाने दे, क़ुरबत भी न होगी।ये किसने डाला इसके नसीब में ज़रा-सा सुख?क्या मालूम नहीं तुमको, इसे देना है बस दु:ख?पिछले जाने कितने जन्म इसने ऐसे काटे,इसके लिए नहीं लिखनी हैं सुकून की…